प्रस्तावना:
- जीरा का महत्व और उपयोगिता की चर्चा: मसाले के रूप में जीरा का उपयोग करने से शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ती है। इसको सब्जी में डालने से सब्जी का स्वाद भी कई गुणा बढ़ जाता है। जीरा एक तरह से, हरेक भारतीय रसोई में पाने वाला मसाला है।
- यह वजन कम करने और कोलेस्ट्रॉल घटाने में भी सहायक है। इसका काढा बनाकर भी उपयोग में लिया जाता है।
- जीरा के उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू: जीरा का उपयोग सब्जी में डालकर स्वाद व पाचकता को बढ़ाने में किया जाता है। इसको सब्जी में डालकर व पेय के रूप में सेवन करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।
- अमूमन पेट में गैस बनने व अपच की शिकायत होने पर आयुर्वेद के अनुसार घरेलू इलाज के रूप में जीरे को नमक व चीनी में डालकर खाया अथवा पानी के साथ पीया जाता है।
- इसके साथ ही जीरे को छाछ अथवा दही में डालकर भी गर्मियों में पीया जाता है जो शरीर में dehydration की कमी नहीं होने देता है।
जीरा का इतिहास:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: जीरा (वानस्पतिक नाम:क्यूमिनम सायमिनम) ऍपियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। इसकी औसतन ऊंचाई 1 से 1.5 फिट तक ही रहती है। इसको अंग्रेजी में क्यूमिन सीड (cumin seed) कहा जाता है।
- यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र में बहुतायात से उगाया जाता है। भारत में यह अधिकतर सिर्फ दो राज्यों गुजरात व राजस्थान में उगाया जाता है।
- इसके प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दिखने में सौंफ की तरह ही होता है। इसका सामान्यतः रंग हल्का भूरा होता है। काला जीरा भी होता है।
- संस्कृत में इसे जीरक कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने में (पचने में) सहायता करने वाला।
- प्राचीन समय से आधुनिक युग तक का सफर: मसालेदार लैटिन व्यंजनों से लेकर स्वादिष्ट भारतीय और मध्य-पूर्वी व्यंजनों तक, जीरे का इस्तेमाल लगभग हरेक व्यंजन में बड़े चाव के साथ किया जाता है। इसके इस्तेमाल का कारण इसकी गहरी महक के साथ-साथ इसका औषधीय गुण का होना भी है।
- हालाँकि यह एक छोटा, सादा बीज है, लेकिन इसमें एक तीखा स्वाद होता है जो विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से पूरी तरह मेल खाता है। करी से लेकर पनीर और सॉस तक, जीरा कई अंतरराष्ट्रीय पसंदीदा व्यंजनों का प्राथमिक मसाला है। दुनिया भर में इसका व्यापक रूप से आनंद लिया जाता है।
जीरे की खासियतें:
- पोषण मूल्य: एक ग्राम जीरे में करीबन 3.8 कैलोरी पाई जाती है।
- (स्त्रोत: nutritionvalue.org)
- चिकित्सीय गुण: कुछ अध्ययन बताते हैं कि जीरे में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो वजन कम करने में सहायक है।
- जीरे में थाइमोक्विनोइन (thymoquinone) नामक एक सक्रिय तत्व पाया जाता है, जो शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को नष्ट करने में मदद करता है। इससे शरीर विषाक्त पदार्थों से मुक्त होकर वजन को कम करता है।
- जीरा एक अच्छा एंटी-ऑक्सिडेंट है। यह शरीर में सूजन कम करने और मांसपेशियों को आराम पहुचांने में भी कारगर है।
- इसमें फाइबर भी पाया जाता है और यह आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैगनीज, जिंक व मैगनीशियम जैसे मिनरल्स का अच्छा स्त्रोत भी है।
- इसमें विटामिन A, C, E और बी-कॉम्प्लैक्स जैसे विटामिन भी खासी मात्रा में पाए जाते हैं।
- सांस्कृतिक महत्व: प्राचीन इजिप्ट और इस्लाम दोनों में काले जीरे का काफी महत्व रहा है। चूंकि जीरा कई बीमारियों को सही करने का राम बाण इलाज है।
जीरा के विभिन्न प्रयोग:
- रसोईघर में उपयोग: भारतीय किचन में जीरे का हर दिन तड़के के रूप में उपयोग किया जाता है। जीरा किसी भी डिश के टेस्ट और फ्लेवर को बढ़ाने का काम करता है।
- सुबह-सुबह जीरे का पानी पीने से आर्थराइटिस की समस्या में सुधार आता है।
- जीरे को भूनकर छाछ में डालकर पीने से कब्ज व अपच की समस्या में सुधार होता है।
- आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग: जीरा स्वाद में तीखा या तीखा (कटू रस) और पचने में हल्का होता है। यह रूक्ष को सुखा देता है तथा इसकी तासीर गर्म होती है।
- यह पित्त को बढ़ाता है, और वात व कफ को संतुलित करता है। यह अग्नि या पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
- औषधीय गुणों का प्रयोग: स्तंभन दोष और कम शुक्राणुओं की संख्या से ग्रसित लोगों के लिए जीरा बहुत ही फायदेमंद है।
- पीसीओएस, गर्भावस्था और स्तनपान के लिए जीरे का पानी काफी फायदेमंद है।
- सोरायसिस, मुँहासे, फुंसी और गोरेपन के लिए जीरा पानी काफी लाभदायक है।
- पाचन तंत्र की समस्याओं में और माउथ फ्रेशनर के रूप में भी जीरे का चलन काफी है।
जीरा की खेती और उत्पादन:
- उत्पादन क्षेत्र: जीरा पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र में बहुतायात से उगाया जाता है।
- भारत दुनिया में जीरे का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसका योगदान लगभग 70% है। अन्य प्रमुख जीरा उत्पादक देश सीरिया (13%), तुर्की (5%), संयुक्त अरब अमीरात (3%) और ईरान हैं।
- देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात व राजस्थान राज्यों में उगाया जाता है।
- राजस्थान में देश के कुल उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता है तथा राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में कुल राज्य में उत्पादित जीरे का लगभग 80 प्रतिशत पैदावार होती है।
- राजस्थान में सर्वाधिक जीरा बाड़मेर व जैसलमेर में होता है।
- यह एक रबी फसल है जो नवम्बर महीने में बोई जाती है।
- खेती की विधि: जीरा एक रबी की फसल है। हमारे राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में दिवाली के आसपास अर्थात लगभग अगले ही दिन जीरे की बुवाई शुरू कर दी जाती है।
- सामान्यतः पूरे नवम्बर माह में इसकी बुवाई होती है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उस समय का मौसम कैसा रहता है। क्योंकि इसके लिए सर्दियां पड़ना, शुरू होना अच्छा माना जाता है।
- इसकी खेती के लिए किसान पहले ही खेत की निराई-गुड़ाई करके रखते हैं। फिर जमीन को सपाट भी किया जाता है।
- जीरे की बुवाई सामान्यतः हाथ से छिड़काव विधि से ही की जाती है। फिर इस पर झाड़िया घुमाई जाती है ताकि जीरे के बीज रेत में मिल जाये।
- इस बात का खास खयाल रखा जाता है कि जीरे के बीज ज्यादा गहराई में नहीं जाए। जीरे के बीज जमीन में सिर्फ 1 से 1.5 सेंटीमीटर ही जमीन में धंसने चाहिए अन्यथा यह उगकर बाहर नहीं आ पाते हैं।
- इसको उगाने के लिए इसमें 3-4 बार हर 5 से 6 दिन के अंतराल में पानी दिया जाता है। क्योंकि इसको उगाने के लिए जमीन में नमी होना अत्यावश्यक है। जीरा उगने में करीबन 15-20 दिन का समय लेता है।
विपणन (व्यापार):
जीरे की फसल लगभग 3 माह में पक जाती है। इसके लगभग पीले पड़ना शुरू होते ही कटाई शुरू हो जाती है। इसको हाथ से खींचकर (उखेड़ा) जाता है। एक जगह इकठ्ठा करके, सूखने के बाद ट्रैक्टर के थ्रेसर मशीन से साफ किया जाता है।
आजकल कुछ व्यापारी सीधे खेतों पर आकर जीरे की मूल्य तय करके खरीद लेते हैं। ज्यादातर किसान जीरा सीधे मंडी पर ले जाते हैं। वहां जीरे का ढेर लगाया जाता है और जो सबसे ऊंची बोली बोलेगा उसको माल किसान के डर बेच दिया जाता है।
भारत में जीरे की सबसे बड़ी मंडी गुजरात के ऊंझा जिले में ऊंझा मंडी है। जहां पर गुजरात व राजस्थान का ज्यादातर जीरा बिकने हेतु आता है। हालांकि आजकल लॉकल स्तर पर काफी मंडिया बन रही है।
आजकल इसके भाव 200 से 250 प्रति किलो के हिसाब से चल रहा है। आज से 2-3 साल पहले इसके भाव बहुत ही कम रहते थे। पिछले 1-2 सालों में जीरे के भाव 500 से 700 प्रति किलो तक भी चले गए थे।
जीरे की पैदावार से किसानों को काफी अच्छा मुनाफा मिल जाता है।
समाप्ति:
जीरा बहुत ही अच्छा मसाला है जिसको आप बिना किसी व्यंजन व पानी के भी चबा सकते हैं। इसके बहुत फायदे हैं।
इसको सब्जी में डालकर स्वाद को भी बढ़ाया जाता है। साथ ही छाछ के साथ डालकर जरूर पीना चाहिए। इसके सेवन से कई बीमारियां धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।
अगर आप जीरे के बारे में ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो आपको गुजरात में ऊंझा मंडी का जरूर विजिट करना चाहिए।
अगर आप बाड़मेर-जैसलमेर के रहने वाले हैं तो बाड़मेर स्थित कृषि केंद्र दांता, बाड़मेर का जरूर विजिट करें।
जीरे के विशाल खेत देखने व किसानों से मुलाकात करने हेतु दिसम्बर से फरवरी के मध्य आप बाड़मेर-जैसलमेर के किसी भी फार्म हाउस पर चले जाएं।
अगर आप जीरे के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो जोधपुर में स्थित काजरी (cazri) केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान का जरूर विजिट करें।
ऐसे ही किसी और विषय के बारे में हम विस्तृत जानकारी लेकर आपसे जरूर मुखातिब होंगे तब तक के लिए इजाजत दें।
FAQ (आपके सवाल):
जीरा (jeera- cumin seed) क्या है?
जीरा (वानस्पतिक नाम:क्यूमिनम सायमिनम) ऍपियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। इसकी औसतन ऊंचाई 1 से 1.5 फिट तक ही रहती है। इसको अंग्रेजी में क्यूमिन सीड (cumin seed) कहा जाता है।
जीरा की खेती कहाँ होती है?
यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र में बहुतायात से उगाया जाता है। भारत में यह अधिकतर सिर्फ दो राज्यों गुजरात व राजस्थान में उगाया जाता है।
जीरे की सर्वाधिक पैदावार कहाँ होती है?
भारत दुनिया में जीरे का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसका योगदान लगभग 70% है। अन्य प्रमुख जीरा उत्पादक देश सीरिया (13%), तुर्की (5%), संयुक्त अरब अमीरात (3%) और ईरान हैं।
राजस्थान में जीरे
की पैदावार कितनी होती है?
राजस्थान में देश के कुल उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता है तथा राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में कुल राज्य में उत्पादित जीरे का लगभग 80 प्रतिशत पैदावार होती है।
जीरा कब उगाया जाता है?
जीरा एक रबी फसल है। जो नवम्बर के महीने में उगाई जाती है।
जीरे की खेती कैसे होती है?
बाकी फसलों की तरह ही जीरे के लिए भी जमीन को तैयार किया जाता है। खेत में हल जोतकर बुवाई की बजाय जीरे की बुवाई छिड़काव विधि के माध्यम से होती है।